ऊतक संवर्धन
इस विधि में जिस पौधे से प्रवर्धन करना होता है, उसके किसी भाग से ऊतक (tissue) का छोटा भाग अलग कर लिया जाता है। अब इस ऊतक की अजर्म परिस्थितियों (aseptic conditions) में किसी उचित संवर्धन माध्यम (culture medium) में वृद्धि कराते हैं। यह ऊतक पोषक पदार्थों का अवशोषण करके वृद्धि करता है जिससे कोशिकाओं के गुच्छे बन जाते हैं जिन्हें कैलस (callus) कहा जाता है। इस कैलस को लम्बे समय तक गुणन के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर कैलस का एक छोटा टुकड़ा दूसरे ऐसे माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है जहाँ यह वृद्धि करके नन्हे पौधे के रूप में विकसित होता है। इस पादप को निकालकर मृदा में लगा दिया जाता है। इस विधि में एक बार ऊतक संवर्धन करके लम्बे समय तक पौधे प्राप्त किए जाते हैं और ये अधिक संख्या में प्राप्त होते हैं। यह विधि आर्किड्स (Orchids), कार्नेशन्स (Carnations), गुलदाऊदी (Crysanthemum) एवं सतावर (Asparagus) में अधिक सफल है। इस विधि से मशरूमों (Mushrooms) का भी संवर्धन किया जाता है।