in इतिहास
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सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थलों का वर्णन कीजिये

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सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

हड़प्पा 

सिन्धु घाटी सभ्यता में हड़प्पा की खोज सबसे पहले की गयी थी, इस कारण इसे हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है। वर्तमान में हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में साहिवाल के पश्चिम में 24 किलोमीटर दूर स्थित है। प्राचीन हड़प्पा का अनुमानित क्षेत्रफल लगभग 150 हेक्टेयर था। हड़प्पा में दो प्रमुख टीले हैं – पूर्व में स्थित नगर टीला व पश्चिम में स्थित दुर्ग टीला।

मोहनजोदड़ो

मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्राप्त में स्थित है, यह सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी बस्तियों में से एक थी। मोहनजोदड़ो लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था। मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ “मुर्दों का टीला” होता है

कालीबंगा

कालीबंगा भारत में स्थित है, यह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। यह घग्गर नदी के किनारे पर बसा हुआ है। कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ “काले रंग की चूड़ियाँ’ होता है। 

चन्हूदड़ो

चन्हूदड़ो वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मोहनजोदड़ो के दक्षिण में स्थित है, यह लगभग 5 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहाँ पर प्राक हड़प्पा संस्कृति, झूकर और झांगर संस्कृति के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

लोथल

लोथल सिन्धु घाटी सभ्यता के सबसे दक्षिणी नगरों में से एक है, यह एक बंदरगाह नगर था। वर्तमान में लोथल गुजरात राज्य में स्थित है। इसकी खोज 1954 में की गई थी। लोथल में फारस की मुहर, धान बा बाजरा के अवशेष मिले हैं।

रोजदी

रोजदी वर्तमान में गुजरात के राजकोटजिले में स्थित है, इस स्थान का उत्खनन 1982 से 1995 के बीच 7 बार किया गया। रोजदी में कच्ची ईंट के चबूतरें, नालियों सहित बिल्लौर, गोमेद पत्थर से बने बाट व पक्की मिट्टी के मनके प्राप्त हुए हैं।

बनावली

बनावली वर्तमान में हरियाणा राज्य के फतेहाबाद जिले में स्थित है। इस स्थान पर सबसे पहले आर.एस. बिष्ट ने उत्खनन किया। बनावली से कई प्रकार के बर्तन, मृदभांड व अन्य वस्तुएं प्राप्त हुई है। बनावली से प्राप्त मुहरों पर गैंडा, जंगली बकरी, आईबेक्स इत्यादि जानवर चित्रित हैं।

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