विलयन की सांद्रता
विलयन मे विलेय कि वह मात्रा जो किसी एक निश्चित मात्रा या आयतन के विलयन या विलायक में घुली रहती है विलयन या विलायक में जितनी विलेय की मात्रा खुली रहती है उसे ही विलयन की सांद्रता कहते हैं अथवा किसी विलयन का संघटन उस विलयन की सांद्रता से व्यक्त कर सकते हैं | दुसरे शब्दो मे कह सकते है कि चाय को बनाते समय यदि पानी में चाय पत्ती और शक्कर को डाला जाता है यदि पानी में चाय पत्ती या शक्कर की मात्रा अधिक हो जाती है तो शक्कर या चाय पत्ती का स्वाद आता है जिससे चाय का विलयन सांद्र हो जाता है यदि विलयन में शक्कर या चाय पत्ती की मात्रा कम डालते हैं तो वह विलयन तनु हो जाता है विलयन की सांद्रता को हम दो रूप में व्यक्त कर सकते हैं गुणात्मक रूप से तथा मात्रात्मक रूप से