बालक के सीखने की प्रक्रिया निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। इसको बालक द्वारा विविध रूपों में सम्पन्न किया जाता है। बालक विद्यालय में आने से पूर्व बहुत सी बातें जानता है, जिन्हें वह अपने परिवार एवं परिवेश से सीखकर आता है।
जैसे- शिक्षक की आज्ञा का पालन करना, शिक्षक का अभिवादन करना, कक्षा में शान्त रहना एवं अपने साथियों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करना आदि। इस प्रकार के अनेक तथ्यों को आत्मसात् करके ही बालक विद्यालय में प्रवेश करता है।
बालक के सीखने की अनेक प्रभावशाली विधियों में वातावरण, शिक्षक एवं परिवेश की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि बालक कब किस विधि का उपयोग सीखने में करेगा यह कोई निश्चित तथ्य नहीं है? अनेक अवसरों पर बालक अनुकरण द्वारा, सुनकर, देखकर, सूंघकर एवं स्पर्श करके वस्तुओं के बारे में सीखते हैं।