आयनन
जब कोई वैद्युत अपघट्य जेल या किसी अन्य आयनीकारक विलायक में घोला जाता है, तो उसका अणु दो आवेशित कणों में वियोजित हो जाता है। इन आवेशित कणों को आयन तथा इस क्रिया को आयनन कहते हैं।
ताप का प्रभाव–विलयन का ताप बढ़ाने पर आयनन की मात्रा बढ़ जाती है।
सान्द्रता का प्रभाव-आयनन सान्द्रता के व्युत्क्रमानुपाती होता है; अतः जैसे-जैसे विलयन तनु होता है, आयनन की मात्रा बढ़ती है।