आयनन विभव
किसी तत्त्व के एक विलग, (isolated) गैसीय परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे तत्त्व का आयनन विभव या प्रथम आयनन विभव कहते हैं। इसी प्रकार दूसरे तथा तीसरे इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने के लिए प्रयुक्त ऊर्जा को क्रमशः द्वितीय आयनन विभव तथा तृतीय आयनन विभव कहते हैं।
आयनन विभव को इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev) या किलो कैलोरी प्रति मोल (kcal/mol) या किलो जूल प्रति मोल (kJ/mol) में व्यक्त करते हैं। किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि से नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है और परमाणु का आकार कम होने लगता है जिससे परमाणु के आयनीकरण में अधिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिससे आयनन विभव का मान बढ़ जाता है।
किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ इनके परमाणु आकार में वृद्धि होती है जिससे नाभिकीय आवेश का बाहरी कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन पर आकर्षण कम हो जाता है। और इलेक्ट्रॉनों को निकालने में कम ऊर्जा लगती है जिससे आयनन विभव का मान कम हो जाता है।