आन्तरिक ऊर्जा
निश्चित परिस्थितियों में किसी निकाय में ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा उपस्थित होती है जो उसके पदार्थ की प्रकृति एवं मात्री तथा उसके ताप, दाब और आयतन पर निर्भर करती है। निश्चित परिस्थितियों में किसी निकाय में उपस्थित ऊर्जा की कुल मात्रा उसकी आन्तरिक ऊर्जा E कहलाती है। किसी पदार्थ या निकाय की आन्तरिक ऊर्जा का वास्तविक मान ज्ञात नहीं है, परन्तु किसी भौतिक या रासायनिक प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा ,परिवर्तन को ज्ञात किया जा सकता है। माना किसी तन्त्र की प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थाओं में ऊर्जा क्रमशः E1 व E2 हों तथा ऊर्जा में परिवर्तन ∆E हो, तो
∆E = E2 – E1
यदि ∆E का मान धनात्मक है तो अभिक्रिया ऊष्माशोषी होगी और यदि ∆E का मान ऋणात्मक है तो अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होगी।