दिगंशी क्वाण्टम संख्या
इसे कोणीय संवेग (angular momentum) या भौम क्वाण्टम संख्या (secondary quantum number) भी कहते हैं। इसे 1 से प्रदर्शित करते हैं। तत्त्वों के स्पेक्ट्रमों में मुख्य रेखाओं के अतिरिक्त बारीक रेखाएँ भी होती हैं। इन बारीक रेखाओं की उत्पत्ति को समझाने के लिए यह सुझाया गया कि किसी बहुइलेक्ट्रॉनिक परमाणु के मुख्य कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा समान नहीं होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये इलेक्ट्रॉन विभिन्न पथों पर गति करते हैं और इनके कोणीय संवेग भी भिन्न-भिन्न होते हैं। अत: एक ही मुख्य कोश में अनेक उपकोश (sub-shell) अथवा ऊर्जा के उपस्तर (sub levels) होते हैं। इनके कारण ही इलेक्ट्रॉनों की कूदों (jumps) की संख्या बढ़ जाती है जिससे स्पेक्ट्रम में अधिक संख्या में रेखाएँ प्राप्त होती हैं।
दिगंशी क्वाण्टम संख्या 1, इलेक्ट्रॉन के उप ऊर्जा-स्तर (उपकोश) को प्रदर्शित करती है। के मान मुख्य क्वाण्टम संख्या n पर निर्भर करते हैं। किसी n के लिये । के मान 0 से लेकर (n-1) तक होते हैं।
n=1 तो, 1= 0
n=2 तो, 1=0 और 1
n=3 तो,1= 0, 1 और 2
जिन उपकोशों के लिये । के मान क्रमश: 0, 1, 2 और 3 होते हैं उन्हें क्रमशः s, p, d और f अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
1 का मान उप ऊर्जा-स्तर का प्रतीक