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Pratham Singh in Chemistry
सात क्रिस्टल तन्त्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिये

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Deva yadav
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सात क्रिस्टल तन्त्र 

जब क्रिस्टल जालक में एकक कोष्ठिका के जालक स्थल केवल कोनों पर स्थित होते हैं, तब यह सरल अथवा आद्य एकक कोष्ठिका कहलाती है। क्रिस्टलों के सभी प्रकारों में सात प्रकार की सरल अथवा आद्य एकक कोष्ठिकाएँ होती हैं। ये एकक कोष्ठिकाएँ लम्बाई a, b तथा c और कोण α, β तथा γ द्वारा अभिलक्षणित होती हैं। यह सात क्रिस्टल तन्त्र कहलाता है । सभी क्रिस्टलों को इनमें से किसी एक के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।

ये सात प्रकार अग्रलिखित हैं 

(1) घनीय (Cubic) – इसमें तीनों अक्ष समान लम्बाई की एवं परस्पर समकोण पर होती हैं (a = b = c, सभी कोण = 90°)। इस प्रकार की एकक कोष्ठिका से बने क्रिस्टल घनीय क्रिस्टल कहलाते हैं। उदाहरणार्थ- NaCl, KCl, CaF2, ZnS, हीरा, CsSl आदि।

(2) चतुष्कोणीय या द्विसमलम्बाक्ष (Tetragonal or Dirhombic) – तीनों अक्ष परस्पर समकोण पर होती हैं, परन्तु केवल दो अक्ष समान लम्बाई की होती हैं (a = b ≠ c, सभी कोण = 90°)। इन क्रिस्टलों के उदाहरण SnO2, TiO2, Sn, यूरिया आदि हैं।

(3) विषमलम्बाक्ष (Orthorhombic) – इसमें तीन असमान अक्ष होती हैं जो परस्पर समकोण पर होती हैं (a ≠ b ≠ c, सभी कोण = 90°)। BaSO4, KNO3 आदि इस प्रकार के क्रिस्टलों के उदाहरण हैं।

(4) एकनताक्ष (Monoclinic) – इसमें असमान लम्बाई की तीन अक्ष होती हैं तथा दो कोण 90° के होते हैं (a ≠ b ≠ c, दो कोण = 90° तथा एक कोण ≠ 90°)। कैल्सियम सल्फेट (CaSO4.2H2O), पोटैशियम मैग्नीशियम सल्फेट [K2Mg(SO4)2.6H2O] आदि एकनताक्ष क्रिस्टलों के कुछ उदाहरण हैं।

(5) त्रिसमनताक्ष अथवा त्रिकोणी (Rhombohedral or Trigonal) – इस प्रकार के क्रिस्टलों में तीनों अक्षों की भुजाएँ समान होती हैं। तीनों अन्तराअक्षीय (interfacial) कोण भी समान होते हैं; परन्तु कोणों का मान 90° नहीं होता है। उदाहरणार्थ- कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3), सोडियम नाइट्रेट (NaNO3), क्वार्ट्ज (SiO2), कैल्साइट आदि।

(6) त्रिनताक्ष (Triclinic) – इस प्रकार के क्रिस्टलों की संरचना में तीनों अक्षों की तीनों भुजाएँ। असमान होती हैं। तीनों कोण भी असमान होते हैं। कोई भी कोण 90° का नहीं होता है (a ≠ b ≠ c, α ≠ β ≠ γ ≠ 90°)। उदाहरण- कॉपर सल्फेट (CuSO4), पोटैशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7), बोरिक अम्ल (H3BO3) आदि।

(7) षट्कोणीय (Hexagonal) – दो अक्षों की भुजाएँ (a तथा b) समान और तीसरे अक्ष की भुजा (c) इन दोनों से भिन्न होती है। दो अक्षीय कोण समान एवं 90° के तथा तीसरा कोण 120° का होता है। (d = b # c, दो कोण = 90° तथा एक कोण = 120°)। उदाहरण– कैल्सियम (Ca), जिंक (Zn), मैग्नीशियम (Mg), मर्करी सल्फाइड (HgS), बर्फ, ग्रेफाइट आदि।

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