in सामान्य हिन्दी
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भक्तिकाल की निर्गुण तथा सगुण भक्तिधारा का परिचय दीजिए।

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भक्तिकाल की निर्गुण तथा सगुण भक्तिधारा

जिस धारा में भगवान् के निर्गुण-निराकार रूप की आराधना पर बल दिया गया, वह निर्गुण धारा कहलायी और जिसमें सगुण-साकार रूप की आराधना पर बल दिया गया, वह सगुण धारा कहलायी। निर्गुणवादियों में जिन्होंने भगवत्-प्राप्ति के साधन-रूप में ज्ञान को अपनाया, वे ज्ञानमार्गी और जिन्होंने प्रेम को अपनाया, वे प्रेममार्गी कहलाये। ज्ञानमार्गी शाखा के सबसे प्रमुख कवि कबीर और प्रेममार्गी (सूफी) शाखा के मलिक मुहम्मद जायसी हुए।

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