दक्षिण में मराठा शक्ति का उदय
औरंगजेब के शासनकाल में दक्षिणी भारत में मराठा शक्ति का उदय हुआ। मराठा राज्य के उदय में भौगोलिक स्थिति का भी योगदान था। विंध्याचल, सतपुड़ा, नर्मदा और ताप्ती नदियाँ, पूना, बीजापुर, कोंकण की उबड़-खाबड़ भूमि आदि ने मराठा लोगों को परिश्रमी, साहसी और आत्मनिर्भर बनाया और उन्होंने छापामार युद्ध प्रणाली अपनाकर अपने साम्राज्य की शक्ति बढ़ाने में सफलता प्राप्त की। मराठों ने दक्षिण के राज्यों अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुंडा आदि की शक्ति कमजोर होने का लाभ उठाया। शिवाजी ने मराठों को संगठित करके एक स्वतन्त्र मराठा राज्य की स्थापना की। औरंगजेब का पतन एवं आर्थिक संकट भी मराठों के साम्प्रज्य स्थापना में सहायक हुआ।