अकबर ने अपने राज्य का विस्तार करने व उसे सुदृढ़ बनाने को धार्मिक सहिष्णुता कः नीति अपनाई। उसने राजपूत राजाओं से वैवाहिक व व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाए। वह सभी धर्मों की अच्छी बातें सुनता और उन पर चर्चा करता था। उसने हिन्दू, इस्लाम, पारसी धर्मों की कुछ बातें लेकर एक नए धर्म दीन-ए-इलाही की रूपरेखा बनाई। उसने सभी धर्म ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद कराया। उसने हिन्दुओं पर लगे जजिया व यात्रा कर हटा दिए। गैर मुसलिम के धर्म-परिवर्तन बन्द कर दिया। उसके राज्य में बिना भेदभाव के नागरिकों में समानता का व्यवहार किया जाता था। उसके इस धार्मिक सहिष्णुता के कारण उसका राज्य धर्म-निरपेक्ष व सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहन देने वाला था।