मसाई समुदाय के चरागाह
मासाई पूर्वी अफ्रीका का एक प्रमुख चरवाहा समुदाय है। औपनिवेशिक शासनकाल में मसाई समुदाय के चरागाहों को सीमित कर दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं तथा प्रतिबन्धों ने उनकी चरवाही एवं व्यापारिक दोनों ही गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव डाला। मासाई समुदाय के अधिकतर चरागाह उस समय छिन गए जब यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों ने अफ्रीका को 1885 ई० में विभिन्न उपनिवेशों में बाँट दिया।
श्वेतों के लिए बस्तियाँ बनाने के लिए मासाई लोगों की सर्वश्रेष्ठ चरागाहों को छीन लिया गया और मासाई लोगों को दक्षिण केन्या एवं उत्तर तंजानिया के छोटे से क्षेत्र में धकेल दिया गया। उन्होंने अपने चरागाहों का लगभग 60 प्रतिशत भाग खो दिया। औपनिवेशिक सरकार ने उनके आवागमन पर विभिन्न बंदिशें लगाना प्रारंभ कर दिया। चरवाहों को भी विशेष आरक्षित स्थानों में रहने के लिए बाध्य किया गया। विशेष परमिट के बिना उन्हें उन सीमाओं से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। क्योंकि मासाई लोगों को एक निश्चित क्षेत्र में सीमित कर दिया गया था, इसलिए वे सर्वश्रेष्ठ चरागाहों से कट गए और एक ऐसी अर्द्ध-शुष्क पट्टी में रहने पर
मजबूर कर दिया गया जहाँ सूखे की आशंका हमेशा बनी रहती थी। उन्नीसवीं सदी के अंत में पूर्व अफ्रीका में औपनिवेशिक सरकार ने स्थानीय किसान समुदायों को अपनी खेती की भूमि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके परिणामस्वरूप मासाई लोगों के चरागाह खेती की जमीन में तब्दील हो गए।
मासाई लोगों के रेवड़ (भेड़-बकरियों वाले लोग) चराने के विशाल क्षेत्रों को शिकारगाह बना दिया गया (उदाहरणतः कीनिया में मासाई मारा व साम्बूरू नैशनल पार्क और तंजानिया में सेरेनगेटी पार्क। इन आरक्षित जंगलों में चरवाहों को आना मना था। वे इन इलाकों में न तो शिकार कर सकते थे और न अपने जानवरों को ही चरा सकते थे। 14,760 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला सेरेनगेटी नैशनल पार्क भी मसाईयों के चरागाहों पर कब्जा करके बनाया गया था।