औद्योगिक क्रान्ति के कारण
1. उपनिवेशों की स्थापना
नवीन भौगोलिक खोजों ने यूरोप के देशों को अपने उपनिवेश स्थापित करने की प्रेरणा दी। अल्प समय में ही इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन और हॉलैण्ड आदि कई देशों ने संसार के कोने-कोने में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए। इन उपनिवेशों तक पहुँचने के लिए यूरोप के देशों को आवागमन के साधनों का विकास करना पड़ा। साथ ही इन उपनिवेशों से कच्चे माल की प्राप्ति हुई और पक्के माल के लिए बाजार उपलब्ध हुए। इस प्रकार उपनिवेशों की स्थापना ने औद्योगिक क्रान्ति लाने में विशेष सहायता प्रदान की।
2. वस्तुओं की माँग में वृद्धि
यूरोप के देशों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा था। व्यापारी पूर्व के देशों के साथ खूब व्यापार करते एवं लाभ कमाते थे। उपनिवेशों की स्थापना के बाद वे अपना माल उपनिवेशों में भी बेचने लगे। इस प्रकार उनके माल की माँग बराबर बढ़ रही थी। व्यापारी अधिक-से-अधिक उत्पादन करके अधिक-से-अधिक माल बेचना चाहते थे। किन्तु मात्र कुटीर उद्योगों से अधिक उत्पादन न हो सकता था; अत: बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए विशाल मिलों की स्थापना की गई, जिससे कम मूल्य पर अधिक उत्पादन सम्भव हो सके
3. कच्चे माल का उपयोग
यूरोप के देशों में बड़े कारखानों द्वारा बड़े पैमाने के उत्पादन के लिए पहले पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध नहीं था किन्तु उपनिवेशों की स्थापना के बाद इ: देशों को अपने उपनिवेशों से पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल मिलने लगा। कच्चे माल का सर्वोत्तम प्रयोग तभी हो सकता था जब उससे बड़े पैमाने पर वस्तुएँ बनाए जाएँ तथा उन्हें दुनिया के बाजारों में बेचा जाए।
४. सस्ते मजदर
यूरोप के अनेक देशों में (विशेषकर इंग्लैण्ड में) कृषि-प्रणाली में पर्याप्तपरिवर्तन हो गया था। इस परिवर्तन के फलस्वरूप कृषि का काम बड़ी-बड़ी मशीनों से होने लगा। खेतों की चकबन्दी, जमींदारों द्वारा जमीन की खरीद और चरागाह की भूमि को खेती के काम में लाने के फलस्वरूप गाँवों में रहने वाले बहुत-से लोग विवश होकर नगरों में मजदूरी करने लगे। वे थोड़ी मजदूरी पर भी काम करने को तैयार थे। फलस्वरूप उद्योगों के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध होने लगे, अत: लोगों को उद्योग-धन्धे एवं कारखाने स्थापित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन मिला।