जिगुरत
मेसोपोटामिया की सभ्यता के अन्तर्गत, नगर के संरक्षक देवता हेतु नगर के पवित्र क्षेत्र में एक मन्दिर का निर्माण कराया जाता था, जिसे ‘जिगुरत’ या ‘जिग्गूरात’ कहा जाता था। यह मन्दिर किसी पहाड़ी पर या ईंटों के बने ऊँचे चबूतरे पर निर्मित किया जाता था। मन्दिर के साथ ही कुछ अन्य भवनों का निर्माण भी कराया जाता था, जो भण्डार-गृह तथा कार्यालयों के रूप में प्रयुक्त किए जाते थे। यह भवन कई मंजिले होते थे। इन भवनों की सबसे ऊँची मंजिल पर देवता का निवास माना जाता था तथा यहाँ बैठकर ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों एवं नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता था।