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Pratham Singh in भूगोल
सुनामी लहरों की उत्पत्ति होने आप लोग क्या समझते हैं

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Deva yadav

सुनामी लहरों की उत्पत्ति 

विनाशकारी समुद्री लहरों (सुनामी) की उत्पत्ति भूकम्प, भू-स्खलन तथा ज्वालामुखी विस्फोटों का परिणाम है। हाल के वर्षों के किसी बड़े क्षुद्रग्रह (उल्कापात) के समुद्र में गिरने को भी समुद्री लहरों का कारण माना जाता है। वास्तव में, समुद्री लहरें इसी तरह उत्पन्न होती हैं, जैसे तालाब में कंकड़ फेंकने से गोलाकार लहरें किनारों की ओर बढ़ती हैं। मूल रूप से इन लहरों की उत्पत्ति में सागरीय जल का बड़े पैमाने पर विस्थापन ही प्रमुख कारण है। भूकम्प या भू-स्खलन के कारण जब कभी भी सागर की तलहटी में कोई बड़ा परिवर्तन आता है या हलचल होती है तो उसे स्थान देने के लिए उतना ही ज्यादा समुद्री जल अपने स्थान से हट जाता है (विस्थापित हो जाता है) और लहरों के रूप में किनारों की ओर चला जाता है। यही जल ऊर्जा के कारण लहरों में परिवर्तित होकर ‘सुनामी लहरें” कहलाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि समुद्री लहरें सागर में आए बदलाव को सन्तुलित करने का प्राकृतिक प्रयास मात्र हैं।

पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक इन समुद्री लहरों को ‘भूगर्भिक बम’ कहते हैं। सन् 1949 में ला–पाल्का आइलैण्ड के उत्तरी तटीय भाग में एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। यह विस्फोट इतनी तीव्र था कि ज्वालामुखी बीच से ही आधा चिटक गया था, किन्तु यह चिटका हुआ भागे समुद्री में नहीं गिरा था अन्यथा वहाँ भी अकल्पनीय विनाशकारी समुद्री लहरें उत्पन्न हो सकती थीं। अब वैज्ञानिकों का मानना है। कि जब भी यह ज्वालामुखी जाग्रत होगा तब 50 अरब टन का ज्वालामुखी का चिटका हुआ आधा हिस्सा अटलाण्टिक महासागर में गिरकर विनाशकारी समुद्री लहरें उत्पन्न कर देगा। समुद्री लहरों से यद्यपि प्रशान्त महासागर के तटीय भाग सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं, परन्तु अटलाण्टिक एवं हिन्द महासागर में भी तटवर्ती भूकम्प एवं ज्वालामुखी मेखलाओं में सुनामी लहरों को कहर होता रहता है।

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