जैवमण्डल रिजर्व
जैवमण्डल रिजर्व वह संरक्षित क्षेत्र है जिसमें ‘आबादी’ तन्त्र की अल्पता होती है। ये प्राकृतिक जीवोम (Natural biomes) हैं जहाँ के जैविक समुदाय विशिष्ट होते हैं। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संघ (UNESCO) के मानव व जैवमंण्डल (man and bisophere) कार्यक्रम में 1975 ई० में जैवमण्डल रिजर्व के सिद्धान्त (concept) को रखा गया जिसके अन्तर्गत पारितन्त्र का संरक्षण आनुवांशिक स्रोतों (genetic resources) के संरक्षण से किया जाना सुझाया गया। मई, 2002 : ई० तक 408 जैवमण्डलों का 94 देशों में पता लगा है। भारत में कुल 14 जैवमण्डल रिजर्व मिलते हैं। भारत में जैवमण्डल रिजर्व के रूप में राष्ट्रीय उद्यानों को भी रखा गया है।
जैवमण्डल रिजर्व के अन्तर्गत कोर (core), बफर (buffer) तथा उदासीन क्षेत्र (Transition zones) आते हैं। प्राकृतिक अथवा कोर क्षेत्र वह है जहाँ का पारितन्त्र पूर्ण तथा कानूनी रूप से संरक्षित होता है। बफर क्षेत्र कोर क्षेत्र को घेरता है तथा इसमें विभिन्न प्रकार के स्रोत मिलते हैं जिन पर शैक्षिक व शोध गतिविधियाँ चलती रहती हैं। संक्रमण क्षेत्र जैवमण्डल रिजर्व का सबसे बाहरी क्षेत्र है। यहाँ पर स्थानीय लोगों द्वारा बहुत-सी क्रियाएँ; जैसे—रहन-सहन, खेती-बाड़ी, प्राकृतिक सम्पदा का आर्थिक उपयोग आदि होती रहती हैं।
जैवमण्डल रिजर्व के मुख्य कार्य
1. संरक्षण–आनुवंशिक स्रोतों, जातियों, पारितन्त्र आदि का संरक्षण करना।
2. विकास–सांस्कृतिक, सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय स्रोतों का विकास।
3. वैज्ञानिक शोध तथा शैक्षणिक उपयोग–संरक्षण सम्बन्धी इन क्रियाओं से वैज्ञानिक शोध व सूचना का राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विनिमय होता है।