एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में स्थानान्तरित ऊर्जा के प्रतिशत को पारिस्थितिक क्षमता कहा जाता है। जीवों के एक समूह का एक पोषी स्तर होता है।
एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में ऊर्जा स्थानान्तरण की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। जीवों की जाति और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार यह क्षमता 5% से लेकर 20% के मध्य हो सकती है। स्थलीय पारिस्थितिक तन्त्र में शाकाहारी जीवों द्वारा पादप पदार्थ के केवल 10% भाग का ही उपभोग किया जाता है। औसत रूप से केवल 10% ऊर्जा का स्थानान्तरण एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में होता है। इसका तात्पर्य यह है कि जीवों को 10 किग्रा मांस के उत्पादन के लिए 100 किग्रा खाद्यान्नों की आवश्यकता होती है। इस कम क्षमता का कारण यह है कि उच्च स्तर के उपभोक्ताओं को एक स्तर पर विद्यमान सभी जीव सुगमता से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। परभक्षी जीव उपलब्ध प्रत्येक शिकार को पकड़ नहीं पाते हैं। परभक्षियों के आक्रमण से जो जीव बच जाते हैं वे अन्ततोगत्वा काल-कवलित हो जाते हैं। तथा इन्हें विघटक खा जाते हैं। इस प्रकार उच्च पोषी स्तर के जीवों की निर्वाह करने की क्षमता भी सीमित होती है।