जल एक प्राकृतिक उपहार है, जिसका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए। ऊपरी महानदी बेसिन में जल का मुख्य स्रोत सतही एवं भूमिगत जल है। सतही जल में नदियाँ, नहरें एवं जलाशय है जबकि भूमिगत जल में कुआँ एवं नलकूप प्रमुख है। इन जल संग्राहकों से जल संग्रह कर 96.99 प्रतिशत भाग में सिंचाई किया जाता है एवं शेष 3.01 प्रतिशत जल का उपयोग औद्योगिक एवं अन्य कार्यों हेतु होता है।
बेसिन में सतही जल का 1,41,165 लाख घन मीटर एवं भूमिगत जल का 11,134 लाख घनमीटर उपयोग हो रहा है। यहाँ वर्षा का औसत 1061 मिलीमीटर है एवं कुछ फसली क्षेत्र का प्रतिशत 60.12 है। निरा फसल क्षेत्र गहनता 30.94 प्रतिशत है। इस अवसर पर जल का अधिकतम उपयोग हो रहा है। पीने के लिये शहरों में 70 लीटर एवं ग्रामों में 40 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन जल उपलब्ध हो रहा है। औद्योगिक कार्यों में भी बहुतायात से जल का उपयोग हो रहा है जिससे भावी पीढ़ी के लिये जल की गंभीर समस्या बनी हुई है। अत: जल संसाधन विकास के लिये जल संरक्षण एवं प्रबंधन करना अति आवश्यक है।