"द्वैधशासन" (Diarchy) को दोषपूर्ण बताने का प्रयास वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) ने 1772 में किया था। उनके कार्यकाल के दौरान, वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर-जनरल थे और उन्होंने ब्रिटिश शासन को भारत में स्थापित किया और संरक्षित किया।
द्वैधशासन का मतलब होता है कि दो प्रमुख अधिकारी एक ही क्षेत्र में अधिकार रखते हैं, जिनमें एक ब्रिटिश अफसर और एक भारतीय अफसर शामिल होते हैं। वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में, भारत में द्वैधशासन प्रणाली को अमल में लाया गया था, जिसमें ब्रिटिश गवर्नर-जनरल और भारतीय दिवान (यानी सलाहकारी परिषद) के रूप में दो प्रमुख अधिकारी शासन कार्य करते थे।
वारेन हेस्टिंग्स के द्वैधशासन के प्रयास और उनके तरीके को कुछ लोग दोषपूर्ण मानते थे, क्योंकि इससे भारतीय सुशासन में न्याय और समर्थन की कमी महसूस होती थी और ब्रिटिश अधिकारी अधिक शक्ति का इस्तेमाल करते थे। इसके परिणामस्वरूप, द्वैधशासन प्रणाली को बाद में समाप्त कर दिया गया और विभिन्न स्वतंत्रता संग्रामों के बाद भारत में पूरी तरह से ब्रिटिश शासन स्थापित किया गया।