पिरामिडाकार विमान विशेष रूप से नागर शैली के हिन्दू मंदिरों में पाए जाते हैं। ये मंदिर हिन्दू धर्म के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और इनके विशेष रूप से चार प्रमुख अंग होते हैं:
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शिखर (Spire): पिरामिडाकार विमानों के शिखर उनकी प्रमुख पहचान होती हैं। ये शिखर विमान के मुख्य गर्भगृह (sanctum sanctorum) को ढकने के रूप में कार्य करते हैं और धार्मिक अर्थ में मंदिर की प्रमुख स्थानीयकता को प्रकट करते हैं। इन शिखरों की गरिमा और आकर्षण काव्यकलाओं के साथ इस्तेमाल होती हैं।
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गर्भगृह (Sanctum Sanctorum): पिरामिडाकार विमानों के गर्भगृह, मंदिर के मुख्य आलय को सूचित करते हैं और वहाँ की प्रतिमा या मूर्ति को स्थानीयकृत करते हैं। इस आलय के अंदर भक्त ध्यान और पूजा करते हैं।
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अंतराल (Antarala): अंतराल, जो गर्भगृह और मुख्य भित्तिका के बीच होता है, भक्तों के लिए एक संकीर्ण प्रायर और प्रदर्शन क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
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मुख्य भित्तिका (Mandapa): मुख्य भित्तिका, जो प्रायर हॉल के रूप में होता है, धार्मिक समग्रता के लिए एक स्थल के रूप में कार्य करता है जहाँ भक्त आये और साधना करते हैं।
इन प्रमुख अंगों के साथ, पिरामिडाकार विमान विशेष रूप से हिन्दू मंदिरों की परम्परागत शैली का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।