पृथ्वीराज चौहान के विरूद्ध मुहम्मद गौरी को कथित रूप से आमंत्रित करने व सहायता देने के लिए जयचंद (कन्नौज का शासक) शासक को देशद्रोही की संज्ञा दी जाती हैं। मुहम्मद गोरी ने 1186 में गजनवी वंश के अंतिम शासक से लाहौर की गद्दी छीन ली और वह भारत के हिन्दू क्षेत्रों में प्रवेश की तैयारी करने लगा। 1191 में उन्हें पृथ्वी राज तृतीय के नेतृत्व में राजपूतों की मिलीजुली सेना ने जिसे कन्नौज और बनारस वर्तमान में वाराणसी के राजा जयचंद का भी समर्थन प्राप्त था।
Stay updated via social channels