अशोक के समस्त शिलालेख, लघुशिला स्तम्भ लेख एवं लघु लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं। अशोक का इतिहास भी हमें इन अभिलेखों से प्राप्त होता है।
शाहनाज गढ़ी एवं मानसेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं। तक्षशिला एवं लघमान (काबुल) के समीप अफगानिस्तान अभिलेख आरमाइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण हैं।
अशोक (Ashoka), मौर्य वंश के भारतीय सम्राटों में से एक थे, और उनके अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में हैं। इसका मतलब है कि उनके अक्षर और लेखन ब्राह्मी लिपि का उपयोग करके किए गए थे। अशोक के अधिकांश अभिलेखों को विभिन्न भागों में भारत भर में पाया गया है, और ये अभिलेख उनके शासकीय कार्यों, धर्मिक धारा, और उनके सामाजिक और प्राशासिक प्रयासों का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
अशोक के सबसे प्रसिद्ध अभिलेख हैं धौली और कालिंग के प्रशासनिक अभिलेख, जो धौली (अब उड़ीसा) और कालिंग (अब ओडिशा और आंध्र प्रदेश के क्षेत्र) क्षेत्र में स्थित थे। इन अभिलेखों में अशोक ने अपने शासन की महत्वपूर्ण घोषणाओं को जारी किया था, जिनमें धर्मिक और सामाजिक सुधार के प्रति उनकी संकल्पना का वर्णन था।
अशोक के अधिकांश अभिलेखों का अब भी अध्ययन और खोज किया जा रहा है, और इनमें से कुछ भाग आज भी भारत के म्यूजियम्स और स्थलीय अधिकारिक संग्रहणों में देखे जा सकते हैं।