सामवेद के प्रथम द्रष्टा के रूप में वेदव्यास जी के शिष्य जैमिनि (Jaimini) को माना जाता है। जैमिनि सामवेद के अद्वितीय मंत्रों का अध्ययन करने और उनका विस्तारित विवेचन करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सामवेद की ब्राह्मण पाठ्यक्रम को सूत्रों के रूप में निरूपित किया और इसके लिए "सामवेदसूत्र" (Sama Veda Sutras) के रूप में ग्रंथ लिखा।
जैमिनि के सामवेद सूत्र विद्या के विभिन्न पहलुओं को सुलझाने और सामवेद के मंत्रों का विवेचन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं और यह सामवेद के शिक्षा-सूत्र के रूप में जाने जाते हैं। जैमिनि का योगदान सामवेद के पाठ्यक्रम को संगठित और सिद्ध करने में महत्वपूर्ण रहा है और उन्होंने सामवेद के अद्वितीय स्वरूप को समझाने में मदद की।