गुप्तोत्तर काल में राजा द्वारा प्रदत्त भूमि अनुदानों के आज्ञा-पत्र शासनपत्र कहलाते थे। छठी शताब्दी के मध्य अर्थात् 550 ई0 के लगभग गुप्त साम्राज्य के विखंडन के बाद एक बार पुनः भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में विकेन्द्रीकरण और विभाजन की प्रवृत्तियाँ सक्रिय हो उठीं। इस काल में अनेक सामंतों एवं शासकों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी और स्वतंत्र राजवंशों की स्थापना की।
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