गुप्त प्रशासन में गजसेना का अध्यक्ष महापीलुपति को कहा जाता था। सर्वाच्च सेनाधिकारी 'महाबलाधिकृत' कहलाता था। हाथियों की सेना के प्रधान को 'महापीलुपति' कहते थे। घुडसवारों की सेना के प्रधान को 'भटाश्श्वपति' कहते थे। पदाति समानों की अवस्था करने वाले अधिकारी को 'रणभण्डागरिका' कहते थे। पदाति सेना की टुकड़ी को 'चमूय' कहा जाता था। गजसेना के नायक को 'कटुक' तथा अश्वारोही सेना के प्रमुख को 'अटाश्वपति' कहा जाता था
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