1913 में मेवाड़ कृषक प्रतिरोध का नेतृत्व सीताराम दास ने किया था। बिजौलिया आजादी से पहले मेवाड़ का हिस्सा था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कस्बे में किसान आंदोलन ने आम आदमी की शक्ति की कहानी सुनाई। यह आंदोलन 1897 में साधु सीताराम दास के नेतृत्व में शुरू हुआ था। साधु सीताराम दास ने मेवाड़ के शाही दरबार में आम आदमी (ज्यादातर गरीब किसान) की आवाज उठाने की कोशिश की।
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