सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक को 'भारतीय गुलामी विधेयक नं. 1 कह कर पुकारा गया। मोतीलाल नेहरू ने कहा कि यह 'भारतीय राष्ट्रवाद पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर सीधा हमला' और 'भारत की गुलामी, बिल नंबर 1' के रूप में था। समाजवादियों और कम्युनिस्टों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक, 1928 पारित किया गया था