स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन से अरविन्द घोष द्वारा लिखित ‘डॉक्ट्रिन ऑफ पैसिव रेजिस्टेंस‘ नामक लेख श्रृंखला सम्बद्ध है। अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया।
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