कांग्रेस सम्मेलनों को ”शिक्षित भारतीयो का वार्षिक राष्ट्रीय मेला” कह कर लाला लाजपतराय ने कांग्रेस की आलोचना की। लाला लाजपत राय ने अपने सहयोगियों-लोकमान्य तिलक तथा विपिनचन्द्र पाल के साथ मिलकर कांग्रेस में उग्र विचारों का प्रवेश कराया। 1885 में अपनी स्थापना से लेकर लगभग बीस वर्षो तक कांग्रेस ने एक राजभवन संस्था का चरित्र बनाये रखा था।
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