स्वामी दयानन्द सरस्वती के गुरु का का नाम विरजानन्द दण्डीश था। 1861 ई. में मथुरा के स्वामी बिरजानन्द से इन्होंने वेदों की गहन शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने ही सर्वप्रथम स्वराज, स्वदेशी शब्द का प्रयोग किया था तथा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इनकी मृत्यु अजमेर में 30 अक्टूबर, 1883 को हुई थी।