हम यशपाल के विचारों से सहमत हैं। बिना घटना, बिना पात्र और बिना विचार के कहानी नहीं लिखी जा सकती। कहानी का अर्थ ही है क्या हुआ उसे कहना। अतः जब घटना नहीं होगी तो यह कैसे पता चलेगा कि क्या हुआ? बिना पात्रों के कुछ होगा कैसे, घटेगा कैसे? कहानी में कोई-न-कोई विचार, बात या उद्देश्य भी अवश्य होता है।