किसी भी देश का समाचार पत्र वहाँ घट रही घटनाओं का आइना तथा लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी होते हैं। अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और उन्हें देश से बाहर करने में समाचारपत्रों ने जोशीले लेखों, भाषणों और विभिन्न घटनाओं के माध्यम से लोगों को उत्साहित और प्रेरित किया था और लोगों की रगों में बहते खून को लावे में बदल दिया था। वही समाचार पत्र उस घटना को कैसे छापते जिसमें देश की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान को मिट्टी में मिला दिया गया हो। जॉर्ज पंचम की लाट पर जिंदा नाक लगाने के कुकृत्य को प्रकाशित करने के बजाए समाचार पत्रों ने चुप रहना ही बेहतर समझा।