सूरदास के दीक्षा गुरु महाप्रभु वल्लभाचार्य थे | श्रीरूद्रसंप्रदाय के श्रीविल्वमंगलाचार्यजी द्वारा इन्हें अष्टादशाक्षर गोपालमन्त्र की दीक्षा दी गई। त्रिदण्ड सन्यास की दीक्षा स्वामी नारायणेन्द्रतीर्थ से प्राप्त हुई। विवाह पंडित श्रीदेवभट्टजी की कन्या- महालक्ष्मी से हुआ और यथासमय दो पुत्र हुए- श्री गोपीनाथ व श्रीविट्ठलनाथ।