कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का संपूर्ण क्षेत्र मूल रूप से गोंडवानों की भूमि एक हिस्सा था, जो मध्य भारत की दो मुख्य जनजातियों गोंडों और बैगाओं द्वारा बसाया गया था। सन् 1862 में इस राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र को वन प्रबंधन नियमों द्वारा बाधित कर दिया गया था, इसके बाद 1879 में इस क्षेत्र के 1949 वर्ग किमी के क्षेत्र को एक आरक्षित वन घोषित कर दिया गया।