जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई । घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई । कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई । आज की बात करे तो आज नारी पुरुषों के बराबर काम कर रही है | और कदम से कदम मिला कर चल रही है |