केशवानंद भारती वाद
‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ वाद (1973) में दिये गए निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णयों में से एक माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से भारतीय संविधान की उस ‘मूल संरचना’ को निर्धारित किया गया, जिसे संसद द्वारा संशोधित नहीं किया जा सकता है।
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