इसके बारे में जो प्राचीनतम वर्णन मिलता है वह सम्राट हर्षवर्धन के समय का है, जिसका चीन के प्रसिद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग द्वारा किया गया है. पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी और कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन से ही हो गई थी.
भारत में यह मेला बहुत अनूठा है जिसमें पूरी दुनिया से लोग आते हैं और पवित्र नदी में स्नान करते हैं. इसका अपना ही धार्मिक महत्व है और यह संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है. यह मेला लगभग 48 दिनों तक चलता है. मुख्य रूप से दुनिया भर से साधू, संत, तपस्वी, तीर्थयात्री, इत्यादि भक्त इसमें भाग लेते हैं.