हुमायूँनामा की रचना गुलबदन बेगम (Gulbadan Begum) ने की थी। गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री तथा हुमायूं की बहन थी। हुमायूंनामा में मुगल साम्राज्य का वर्णन है। इसमें हुमायूँ को काफी विनम्र स्वभाव का बताया गया है और इस जीवनी के तरीके से उन्होंने हुमायूँ को क्रोधित और उकसाने की कोशिश भी की है। बाबर ने तुर्की भाषा में 'तुजुके बाबरी' नामक आत्मकथा लिखी तथा जहांगीर ने फारसी भाशा में 'तुजुके जहांगीरी-नामक आत्मकथा लिखी।