जब हम मन के भावों तथा विचारों को लिखकर प्रकट करते हैं , तो वह भाषा का लिखित रूप कहलाता है | भाषा का लिखित रूप सीखने के लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता होती है | भाषा के विकासक्रम में भाषा लिखित रूप भाषा के मौखिक रूप के बाद आता है.
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