राउल्ट का नियम (Raoult's law)
यह नियम फ्रांसीसी रसायनशास्त्री 'राउल्ट' द्वारा 1887 में दिया गया। इस नियम के अनुसार किसी तनु विलयन के वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में उपस्थित विलेय के मोल भिन्न के बराबर होता है। यह उष्मागतिकी (ऊष्मागतिक) नियम है।
परिभाषा
किसी ताप पर वाष्पशील द्रवों के विलयन के लिए, विलयन में प्रत्येक अवयव का आंशिक वाष्प दाब उस शुद्ध अवयव के वाष्प दाब और इसके मोल अंश अणु-अंश (mole fraction) के गुणनफल के बराबर होता है।
जब किसी विलयन के घटक साम्यावस्था में पहुँच जाते हैं उस स्थिति में इस विलयन का कुल वाष्प दाब राउल्ट के नियम एवं डाल्टन का आंशिक दाब का नियम को मिलाकर निर्मित निम्नलिखित सूत्र से निकाला जा सकता है-
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यदि दो द्रवों से बने विलयन के वाष्पदब की बात करें (और, इसमें कोई अन्य गैसें उपस्थित न हों) तो राउल्ट के नियम के आधार पर इस विलयन के वाष्पदाब की गणना की जा सकती है। इस विलयन का कुल वाष्पदाब {\displaystyle p} दोनों द्रवों के 'शुद्ध' वाष्पदाबों तथा के भारित योग (weighted sum) के बराबर होगा। अर्थात दो द्रवों A और B के विलयन का सम्मिलित वाष्पदाब निम्नलिखित होगा-
चूंकि सभी मोल अंशों का योग 1 होता है, अतः
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स्पष्ट है कि दो द्रवों का सम्मिलित वाष्पदाब मोल-अंश का एक रैखिक फलन है (चित्र देखें)
ध्यान दें कि यदि अवाष्पशील विलेय (वाष्प दाब=0) को किसी विलायक में मिलाया जाता है तो यह पाया गया है कि इस विलयन का वाष्प दाब, शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है।
राउल्ट के नियम की सीमाएं
- राउल्ट का नियम केवल तनु विलयनो लिए ही प्रयुक्त किया जा सकता है।
- राउल्ट का नियम ऐसे विलेय पदार्थों के लिए प्रयुक्त नहीं होता है जो विलयन में वियोजित (Dissociate) या संगुड़ित (Associate) हो जाते हैं।