तरंग दैर्ध्य (Wavelength) एक तरंग के दो समान कोणों पर एक से दूसरे तक की दूरी को मापने का तरीका होता है। यह एक तरंग की परिभाषित लय (frequency) के साथ संबंधित होता है और यह दर्शाता है कि एक तरंग की कितनी चौड़ाई है।
भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (= लम्बा) से 'दैर्घ्य' बना है।
तरंगदैर्घ्य, तरंग के समान कला वाले दो क्रमागत बिन्दुओं की दूरी है। ये बिन्दु तरंगशीर्ष (crests) हो सकते हैं, तरंगगर्त (troughs) या शून्य-पारण (zero crossing) बिन्दु हो सकते हैं। तरंग दैर्घ्य किसी तरंग की विशिष्टता है। इसे ग्रीक अक्षर 'लैम्ब्डा' (λ) द्वारा निरुपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर है।
किसी तरंग के तरंगदैर्घ्य (λ), तरंग के वेग (v) तथा तरंग की आवृति (f) में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है-
तरंग दैर्ध्य की परिभाषा
तरंग दैर्ध्य (wave length) : जब कोई तरंग कम्पन्न या दोलन करती है तो एक दोलन या कम्पन्न होने में जितनी दूरी कण तय करता है उस दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते है।
अन्य परिभाषाएं-
- एक दोलन में कण द्वारा तय की गयी दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते है।
- दो समीपतम समान कला में कम्पन्न कणों के मध्य की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते है।
चित्र में दर्शाए अनुसार समीपस्थ कम्पन्न या दोलन के शिखर बिन्दुओं (crest) के मध्य की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते है।
आवृति (frequency)
एक सेकंड में कण द्वारा कम्पन्न या तरंग दैर्ध्य की संख्या को आवृति कहते है। जैसे मान लीजिये किसी तरंग में कण एक सेकंड में 60 कम्पन्न या दोलन करते है तो उस तरंग की आवृति 60 होगी।
आवर्तकाल (time period)
किसी तरंग द्वारा एक तरंग दैर्ध्य की दूरी तय करने में जितना समय लेती है उस समय को उस तरंग का आवर्त काल कहते है।
अर्थात तरंग द्वारा एक तरंग दैर्ध्य की दूरी को तय करने में लगा समय आवर्त काल कहलाता है।
आयाम (amplitude)
तरंग के किसी कण द्वारा इसकी साम्यावस्था से अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते है।
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चित्र में देख सकते है की कण द्वारा इसकी साम्यावस्था से अधिकतम विस्थापन को आयाम (amplitude) कहा गया है।
कला (phase) :
कला किसी भी तरंग में उपस्थित किसी कण की स्थिति और गति की दिशा की पूर्ण जानकरी देता है।
तरंग के चक्र पर समय बिंदु पर कण की स्थिति को कला द्वारा परिभाषित किया जाता है।
कला दो समान तरंग दैर्ध्य की तरंगो के मध्य सापेक्षिक विस्थापन को भी दर्शाती है की कौनसी तरंग अन्य तरंग से कितनी आगे या पीछे है।