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Uma in लेखक और रचना
रक्षाबंधन नामक नाटक के लेखक/नाटककार/रचयिता कौन हैं? रक्षाबंधन के लेखक/नाटककार का नाम क्या है? रक्षाबंधन किस विधा की रचना है? Rakshaabandhan namak Natak ke Lekhak/Natakkar/Rachayitha kaun hain? Rakshaabandhan kis vidha ki rachna hai?

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Upasana

रक्षाबंधन के लेखक/नाटककार/रचयिता

रक्षाबंधन (Rakshaabandhan) के लेखक/नाटककार/रचयिता (Lekhak/Natakkar/Rachayitha) "हरिकृष्ण 'प्रेमी'" (Harikrishna Premee) हैं।

Rakshaabandhan (Lekhak/Natakkar/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में रक्षाबंधन के लेखक/नाटककार/रचयिता को लेखक/नाटककार तथा नाटक के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। रक्षाबंधन के लेखक/नाटककार/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/नाटकलेखक/नाटककार/रचयिता
रक्षाबंधनहरिकृष्ण 'प्रेमी'
RakshaabandhanHarikrishna Premee

रक्षाबंधन किस विधा की रचना है?

रक्षाबंधन (Rakshaabandhan) की विधा का प्रकार "नाटक" (Natak) है।

आशा है कि आप "रक्षाबंधन नामक नाटक के लेखक/नाटककार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको रक्षाबंधन के लेखक/नाटककार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो तो उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

Answer is wrong
Pooja
Shashi, You are wrong, check it here: https://hi.wikipedia.org/wiki/हरिकृष्ण_प्रेमी

 'प्रेमी' जी की सर्वप्रथम प्रकाशित रचना 'स्वर्ण विहान' (1930 ई.) गति-नाट्य है। उसमें प्रेम और राष्ट्रीयता की भावनाओं की बड़ी रसात्मक अभिव्यक्ति है। पहले ऐतिहासिक नाटक 'रक्षा-बंधन' (1938 ई.) में गुजरात के बहादुर शाह के आक्रमण के अवसर पर चित्तौड़ की रक्षा के लिए रानी कर्मवती द्वारा मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजने का प्रसंग है। इस रचना का मूल उद्देश्य हिंदू मुस्लिम सामंजस्य की भावना जागाना है। 'शिवा साधना' (1937 ई.) में शिवाजी की औरंगजेब की साम्प्रदायिक एवं तानाशाही नीति के विरोधी तथा धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय भावना के संस्थापक के रूप में चित्रित किया गया है। 'प्रतिशोध' (1937 ई.) में छत्रपाल द्वारा बुंदेलखण्ड की शक्तियों को एकत्र करके औरंगजेब से टक्कर लेने का प्रसंग है। 'आहुति' (1940 ई.) में रणथम्भौर के हम्मीर देव द्वारा शरणागत रक्षा के लिए अलाउद्दीन खिलजी से संघर्ष और आत्म बलिदान की कथा है। 'स्वप्नभंग' (1940 ई.) में दारा की पराजय से धर्म निरपेक्षता के आदर्श के खण्डित होने का दुख:द दृश्य है। 'मित्र' (1945 ई.), 'नवीन संज्ञा', 'शतरंज के खिलाड़ी' में युद्ध-क्षेत्र में परस्पर एक दूसरे का विरोध करते हुए भी दो व्यक्तियों के मित्रता निर्वाह का आख्यान है। 'विषपान' (1945 ई.) में मेवाड़ की राजकुमारी का स्वदेश-रक्षा के लिए आत्मघात का प्रसंग है। 'उद्धार', 'भग्न प्राचीर', 'प्रकाशस्तम्भ', 'कीर्तिस्तम्भ', 'विदा' और सौंपों की सृष्टि में भी मध्यकालीन कथा-प्रसंग ही लिये गये हैं। 'शपथ' और 'सवंत प्रवर्तन' आदिमयुगीन इतिहास पर आधारित है। 'संरक्षक' का कथा-प्रसंग अंग्रेज़ी राज्य के प्रारम्भिक काल से उसकी 'येन केन प्रकारेण' साम्राज्य विस्तार की नीति को स्पष्ट करने के लिए लिया गया है। 'पाताल विजय' (1936 ई.) 'प्रेमी' जी का एकमात्र पौराणिक नाटक है।

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