दूरबीन या दूरदर्शी
दूरदर्शी वह प्रकाशीय उपकरण है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देख्नने के लिये किया जाता है। दूरदर्शी से सामान्यत: लोग प्रकाशीय दूरदर्शी का अर्थ ग्रहण करते हैं, परन्तु दूरदर्शी विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अन्य भागों मै भी काम करता है जैसे X-रे दूरदर्शी जो कि X-रे के प्रति संवेदनशील होता है, रेडियो दूरदर्शी जो कि अधिक तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुंबकीय तरंगे ग्रहण करता है।
दूरदर्शी साधारणतया उस प्रकाशीय तंत्र (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएँ बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, अथवा जिसकी सहायता से दूरवर्ती वस्तुओं के साधारण और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं। दूरवर्ती वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आजकल रेडियो तरंगों का भी उपयोग किया जाने लगा है। इस प्रकार का यंत्र रेडियो दूरदर्शी (radio telescope) कहलाता है। बोलचाल की भाषा में दूरदर्शी को दूरबीन भी कहते हैं।
मोलिन्यूक्स (Molyneux) ने अपनी पुस्तक 'डिऑप्ट्रिका नोवा' (Dioptrica Nova) में लिखा है कि रॉजर बेकन (Roger Bacon) को, जिसकी मृत्यु सन् १२९५ में हुई थी, दूरबीन और खुर्दबीन का सैद्धांतिक ज्ञान था, लेकिन दूरदर्शी का सर्वप्रथम निर्माण सन् १६०८ के लगभग हॉलैंड निवासी हैंसलिपरशे (Hanslippershey) नामक व्यक्ति ने किया। इसके बाद क्रमश: गैलिलिओ, केपलर, हाइगेंज़, ब्रैडले, ग्रेगरी और न्यूटन आदि ने दूरदर्शी का व्यवस्थित यंत्र के रूप में विकास किया। दूरबीन के विकास में गैलिलिओ का महत्वपूर्ण योग है। गैलिलिओ ने अपने दूरदर्शी की सहायता से संसार को यह बता दिया है कि कोपर्निकस की सूर्यकेंद्रीय (heliocentric) ज्योतिर्व्यवस्था सत्य है और टालिमी की भूकेंद्रीय (geocentric) व्यवस्था अशुद्ध है।