सबसे पहला स्टेप है कीवर्ड रिसर्च:- जिस भी कीवर्ड पर आप पोस्ट लिखरे हो उसका kd-keyword difficulty चेक करिये
अगर कीवर्ड का डिफीकल्टी लेवल बहुत ज्यादा है तो इस कीवर्ड पर काम करने का फ़ायदा नहीं हैं।
ऐसे कीवर्ड डुंडे जिनका कीवर्ड डिफीकल्टी लेवल बहुत कम हो और सर्च वॉल्यूम भी अच्छा हो। और हमेशा long tail keywords par काम करिये।
उदाहरण:- best mobile phone कीवर्ड पर काम करने से अच्छा है आप best mobile phone under 15000 rupees पर काम करें।
ट्रैफिक न आने का कारण है आप की वेबसाइट गूगल के फर्स्ट पेज के टॉप 3 रिजल्ट में नहीं आ रहा है। अगर आप किसी तरह टॉप 3 में आ जाते हैं तो भर भर के ट्रैफिक आएगा।
सवाल है आप यह कैसे करेंगे?
जवाब है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कर के। आप कहेंगे मैं तो सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कर ही रहा हूँ।
असल में लोगो को लगता है की सिर्फ ऑन पेज एलिमेंट्स पर काम करके उनकी वेबसाइट पर ट्रैफिक आना शुरू होगा पर यह सच नहीं है , सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन 3 तरह से करना होता है।
ऑन-पेज : इसमें आप 7 ऑन पेज एलिमेंट्स पर काम करते हैं
- पेज टाइटल
- मेटा-डिस्क्रिप्शन
- मेटा-कीवर्ड
- हैडिंग
- यूआरएल
- ऑल्ट टेक्स्ट
- कंटेंट
ऑन पेज सिर्फ एक बार करने वाली एक्टिविटी है। 80 परसेंट लोग बस यही करके छोड़ देते हैं असल में खेल इसके आगे शुरू होता है।
ऑफ-पेज : ऑफ पेज seo में आपको क्वालिटी बैकलिंक बनाने होते हैं वो भी रिलेवेंट इंडस्ट्री से। यह एक continuous प्रोसेस है यह कभी नहीं रुकता।
बैकलिंक बनाने से आपकी वेबसाइट पर ट्रैफिक तो बढ़ता ही है साथ ही आपकी अथॉरिटी भी बढ़ती है।
गूगल हाई da-डोमेन अथॉरिटी , pa-पेज अथॉरिटी वाली वेबसाइट को प्रायोरिटी देता है इसलिए यह जरूरी है की आप अपनी अथॉरिटी बढ़ाने पर काम करें।
Techincal : सर्च इंजन किसी वेबसाइट को गूगल में rank करने के लिए सिर्फ उसके keywords और बैकलिंक ही नहीं देखता है बल्कि इन दोनों चीजों के साथ-ही-साथ उसका technical analysis भी चेक करता हैं।
टेक्निकल अनैलिसिस से हमारा मतलब है- वेबसाइट की तकनीकी चीजों की जांच करना। जैसे कि वेबसाइट कितनी जल्दी load होती है यानि खुलती है और उसका architecture कैसा है, ये सारी चीजें Technical SEO के under में आती हैं।