प्रेजते संधि विच्छेद
नीचे दी गई तालिका में प्रेजते का संधि विच्छेद (Prejate Sandhi Viched) दिया गया है -
संधि |
विच्छेद |
प्रेजते |
प्र + एजते |
Prejate |
Pr + Ejate |
प्रेजते में संधि का प्रकार (Type of Sandhi)
प्रेजते में "पररूप स्वर संधि" संधि है। प्रेजते का संधि विच्छेद "प्र + एजते" होता है। तथा इसमें “पररूप स्वर संधि” लागू होती है।
'एङि पररूपम्' इस सूत्र से अकारान्त उपसर्ग के आगे 'एङादि' रूप (ए अथवा ओ) होने से, अकार व एङ् प्रत्याहार का स्वर इन दोनों के स्थान पर परस्वर अर्थात् एङ् प्रत्याहार का स्वर एकादेश हो जाता है।
'प्र + एजते' इस सन्धिविग्रह में 'प्र' यह 'अकारान्त उपसर्ग' है तथा आगे 'एङादि रूप (ए)' है।
इसीलिये, 'प्र' में स्थित 'अ' (अकारान्त उपसर्ग) की सन्धि 'ए' (एङादि रूप) से होकर 'ए' (एङ् प्रत्याहार) यह एकादेश हुआ है।
- प्र् + अ + एजते = प्रेजते
उदाहरण-
- उप + ओषति = उपोषति
- प्र + ओषति = प्रोषति
- प्र + एषयति = प्रेषयति
अतः यह स्पष्ट है कि 'प्रेजते' का 'प्र + एजते' यह सन्धिविग्रह है।
'प्र + एजते = प्रेजते' यह पररूप सन्धि का उदाहरण है, वृद्धि सन्धि का उदाहरण नही है। 'प्र + एजते' इसमें वृद्धिरेचि सूत्र से सन्धि नही होती है, एङि पररूपम् इस सूत्र से सन्धि होती है। पररूप सन्धि यह वृद्धि सन्धि का अपवाद है। इसीलिये प्र + एजते = प्रेजते यह उचित सन्धि है।
सन्धि :
दो वर्णों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय।
सन्धि के प्रकार: सन्धि के तीन प्रकार होते हैं-
- स्वरसन्धि
- व्यंजनसन्धि
- विसर्गसन्धि
स्वर सन्धि :
स्वर वर्ण का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।
- विद्या + आलय = विद्यालय
- महा + औषधि = महौषधि
व्यंजन सन्धि :
व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।
- उत् + लास = उल्लास
- तत् + लय = तल्लयः
विसर्ग सन्धि :
विसर्ग का संयोग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।
- दुः + आत्मा = दुरात्मा
- नमः + ते = नमस्ते
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