Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Pratham Singh in इतिहास
edited
भारतीय इतिहास के प्रमुख आंदोलनों का वर्णन कीजिए

1 Answer

0 votes
Deva yadav
edited
1. 1857 का विद्रोह

1857 का विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला। इस विद्रोह का आरंभ मेरठ सहित देश के विभिन्‍न छावनी क्षेत्रों में छोटी झड़पों और आगजनी से हुआ था। आगे चलकर इसने एक बड़ा रूप ले लिया।

2. नील विद्रोह

19वीं शताब्दी के लगभग मध्य से लेकर भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेजी शासन के विरूद्ध अनेक किसान आंदोलन हुए। इनमें नील आंदोलन, पाबना आंदोलन, दक्कन विद्रोह, किसान सभा आंदोलन, एका आंदोलन, मोपला विद्रोह, बारदोली सत्याग्रह, तेभाग आंदोलन, तेलंगाना आंदोलन आदि। इनमें 1859-60 में बंगाल में हुआ नील-विद्रोह किसानों का अंग्रेजी शासन के विरूद्ध पहला संगठित व सर्वाधिक जुझारू विद्रोह था।

3. जालिया वाला बाग कांड

यह घटना 13 अप्रैल, 1919 की है। अमृतसर के जलिया वाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था। हजारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकांड ही था।

4. चौरीचौरा कांड

एक फरवरी, 1922 को चौरीचौरा कांड भारत के इतिहास के पन्नों में कभी ना भूलने वाला काला दिन है। इसी दिन चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे बलिदानियों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी। सत्याग्रहियों ने इसके बाद पुलिसवालों पर पथराव शुरू कर दी। जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने गोलियां चलाई। जिसमें 260 व्यक्तियों की मौत हो गई। पुलिस की गोलियां तब रुकीं जब उनके सभी कारतूस समाप्त हो गए। इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें थाने में बंद 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया।

5. असहयोग आंदोलन

सितंबर, 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया। जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी को लगा कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्‍याय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई। सितंबर, 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया। जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी को लगा कि ब्रिटिश हुकूमत से न्याय मिलने की उम्‍मीद नहीं है। इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी थी।

6. सविनय अवज्ञा आन्दोलन

ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ कांग्रेस द्वारा चलाये गए जन आन्दोलन में से एक था। 1929 तक भारतीय नेताओं को शक होने लगा था कि ब्रिटेन कभी देश को आजाद नहीं करेगा। न ही वह औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की अपनी घोषणा पर अमल करेगा। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए इस 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन को चलाया गया था। इसका उद्देश्य कुछ विशिष्ट प्रकार के गैर-कानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था।

7. पूर्ण स्‍वराज की मांग

1929 के लाहौर में रावी नदी के तट पर हुए कांग्रेस ने रावी अधिवेशन का आयोजन किया था। इस अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की मांग ब्रिटिश हुकूमत से की गई थी। कांग्रेस की इस मांग से ब्रिटिश सरकार हिल गई थी।

8. नमक सत्‍याग्रह/दांडी मार्च

नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों में से एक था। 12 मार्च, 1930 में बापू ने अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। उन्होंने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था। अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह मार्च ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर उभरा। उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत ने चाय, कपड़ा, यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था। उस समय भारतीयों को नमक बनाने तक का अधिकार नहीं था। हमारे पूर्वजों को इंगलैंड से आनेवाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे। बाद में बापू के इस सत्याग्रह को दांडी मार्च के नाम से भी जाना गया।

9. आजाद हिंद फौज

सुभाष चंद्र बोस ने भारत को अंग्रेजों के कब्जे से आजाद कराने के लिए 1942 में आजाद हिंद फौज नामक सशस्त्र सेना का गठन किया गया। एक साल के अंदर ही इस फौज ने ब्रिटिश सेना और हुकूमत दोनों को हिलाकर रख दिया। इस सेना ने देश के लोगों में मर मिटने की जज्‍बा और देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष के मनोबल को चरम पर पहुंचाने का काम किया था। इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में सुभाष चंद्र बोस ने अहम भूमिका निभाई थी।

10. भारत छोड़ो आंदोलन

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने का काम किया था। यह वह आंदोलन था जिसमें पूरे देश की व्यापक भागीदारी रही थी। इस आंदोलन के बाद ही अंग्रेजी हुकूमत को यह अहसास हो गया था कि अब भारत में लंबे अरसे तक बने रहना मुमकिन नहीं है

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...