बक्सर का युद्ध
बक्सर का युद्ध 22/23 अक्टूबर १७६४ में बक्सर नगर के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल तथा नवाबों की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। बंगाल के नबाब मीर कासिम, अवध के नबाब शुजाउद्दौला, तथा मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कंपनी से लड़ रही थी। लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई और इसके परिणाम में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया
बंगाल में सिराजुद्दौला के नवाब के हारने के बाद जब मीरजाफर को नया नवाब बनाया जाता है तो वो भी अपनी प्रजा की भलाई के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ तनाव बना लेती है तो उसे भी हटाकर मिरकासिम को नया नवाब बना दिया जाता है ।ये एक योग्य शासक था जो अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने में जुट जाता है ,इस दौरान वो कंपनी की हितो का ध्यान नहीं रखता है,तो कंपनी उसे भी हटा कर नया नवाब बनाने के बारे में सोचती है और जुलाई 1763 में मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाकर उसके विरुद्ध युद्ध करने का फैसला लेती हैइस युद्ध में मीर कासिम हार जाता है और उसे अवध के नवाब सुजाद्दुल्लाह के पास शरण लेना पड़ता है।जिस समय वहां अवध पहुंचता है उस समय वह मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजौद्दलाह के साथ संधि करता है और तीनों ने मिलकर कंपनी के विरुद्ध युद्ध करने का निर्णय लेते हैं। फिर तीनों ने मिलकर कंपनी के विरुद्ध बिहार के बक्सर नामक स्थान पर युद्ध लड़ते हैं। इस युद्ध में एक और अंग्रेजी सेना का नेतृत्व कैप्टन मुनरो कर रहा था तो दूसरी ओर शाह आलम द्वितिय, शुजाद्दुल्लाह और मीर कासिम की सेना थी दोनों के बीच 22 अक्टूबर 1764 इसमें में युद्ध होता है जिसमें अंग्रेजी सेना को विजय प्राप्त होता है। इस युद्ध के बाद भारत में ब्रिटिश साम्राज्य पूर्ण रूप से स्थापित हो जाता है। इस युद्ध के बाद इलाहाबाद की संधि होती है जो भारत के लिए इतिहास का महत्वपूर्ण संधि है।