तीसरा कर्नाटक युद्ध (Third Anglo-Mysore War) वाण्डीवाश स्थान पर लड़ा गया था। यह युद्ध 1790 से 1792 तक चला और इसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मैसूर के सुलतान टिपू सुल्तान के बीच हुआ था।
टिपू सुल्तान ने इस युद्ध की शुरुआत की थी और उन्होंने फ्रांस से सहायता मांगी थी। इसके परिणामस्वरूप, टिपू सुल्तान की सेना और फ्रांसीसी सेना के बीच युद्ध के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संघर्ष किया गया।
युद्ध के दौरान, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य ने मैसूर के टिपू सुल्तान को पराजित किया और वाण्डीवाश स्थान पर 1792 में शांति समझौता हुआ। इस समझौते के तहत, टिपू सुल्तान ने कुछ भूमि क्षेत्रों को खो दिया और बहुत सारी धनराशि को देनी को सहमती दी।
तीसरा कर्नाटक युद्ध के बाद, टिपू सुल्तान की सत्ता कमजोर हो गई और उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ यात्रा समझौता किया, जिसका परिणामस्वरूप मैसूर के राजा टिपू सुल्तान की मौत के बाद 1799 में मैसूर का अधिग्रहण हुआ।