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केन्द्रक छिद्र से आप क्या समझते है? इनके कार्य बताइए।

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केन्द्रक छिद्र

केन्द्रक के चारों ओर 10 nm से 50 nm मोटी दोहरी केन्द्रक-कला (nuclear membrane) होती है। दोनों झिल्लियों (कलाओं) के मध्य स्थान को परिकेन्द्रकीय स्थान (perinuclear space) कहते हैं।  यह लगभग 100-300 Åचौड़ी होती है। केन्द्रक कला पर अनेक सूक्ष्म छिद्र होते हैं। इन्हें केन्द्रक छिद्र (nuclear pores) कहते हैं। प्रत्येक का व्यास लगभग 400-1000 Å होता है। केन्द्रक-कला का सम्बन्ध कोशिकाद्रव्य में स्थित अन्त:प्रद्रयी जालिका (ER) से होता है।

कार्य :
केन्द्रक में निर्मित विभिन्न प्रकार के R.N.A. अणु विशेषकर m-R.N.A. केन्द्रक कला छिद्रों से होकर कोशिकाद्रव्य में पहुँचते हैं और प्रोटीन संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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